हम गाली हैं
कुछ ना कहना दुनिया से,
कह देना हम गाली हैं
आगे- आगे दुनिया वाले,
पीछे हम मवाली हैं
ढेरे पड़े हैं सड़कों पे हम ,
भरी हुई इस दुनिया में
इकदम से हम खाली हैं
नोटों की गड्डी में , वो कड़क कड़क, वो हरे हरे,
उनमें से हम जाली हैं,
कुछ ना कहना दुनिया से
कह देना हम गाली हैं
जहां पर उनके पैर खड़े हैं,
वहीं हमारे हाथ दबे हैं,
उचका के फेंके सिक्के वो
किसी के आए हथेली पे,
किसी की आए थाली में,
कुछ ना कहना दुनिया से
कह देना हम गाली हैं