हम ख़ामोश नहीं रह सकते
कुछ अनदेखे-से आंसू!
कुछ अनजानी-सी चीखें!!
आ-आके उड़ा जाती हैं
हमारी आंखों की नींदें!!
चारों ही तरफ़ लोगों में
फैली हुई कोई दहशत!
ज़ुल्मत के दौर में हम भी
क्या अपने लबों को सी लें!!
#ReleaseAllPoliticalPrisoners
#farmersprotestchallenge
#feministmovement
Shekhar Chandra Mitra