// हम कौन हैं …?
// हम कौन है …?
ये तो है
बिखरती चांदनी
गुनगुनाती रागनी
बहती हवा …!
कोई / कैसे
आखिर इसे ,
मन के आंचल में ,
समेटे कहां …?
मन की भावनाओं से ,
निकलती मचलती हुई ,
कविता वक्त के सांचे में ,
एक ढलती हुई मोम है …!
सच वही कवि जो ,
लिखता निर्बाध गति से
बोलते उसके शब्द
और रहता वो मौन है …!
पर हां आजकल के ,
कविताओं में कविता कहां
होते कुछ लफ्ज़ और
अर्थ रहता सब गौण है …?
इसे गद्यों , पद्यों ,
पंक्तियों और छंदों में ,
लिखकर अपने को कवि
कहने वाले हम कौन है ,
आखिर हम कौन है …?
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव ( छ. ग.)