” हम किया प्रणाम करब अपना सं श्रेष्ट कें ?”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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बड भ गेल
अभिनन्दन ,
शिष्टाचार
आ अभिवादन !
हम किया प्रणाम करव
अपना सं श्रेष्ट कें ?
प्रणामक परिपाटी त
औपचारिके
मात्र रहि गेल
आब त अवि गेल नवका जमाना
फेसबुक
गूगल
व्हात्सप्प अवि गेल
आब किया गोड लगाव ?
मदरस डे मे
एकटा फोटो पोस्ट क
दैत छी
आर लोग के
बुझा दैत छी !
पिता कें किया
प्रणाम करि
हुनक आशीषक
आब की प्रयोजन ?
हुनको हम कखनो -कखनो
फादरस डे
दिन याद क लैत छी
समाजक लोक
पुरनका विचारक छथि
लागल रहथि
पुरनका अभिवादन
प्रणाम
स्वागत मे लिप्त रहथि
हम त बनि गेलहुं
श्रेष्ट तुंग पर बैसि गेलहुं
आब नहि
हमरा सं
शिष्टताक अभिनय भ सकत !
हम सासुर
पहुँचि कें
सास के साष्टांग देलहुं
ससुर कें प्रणाम केलहुं
जेठ सारि सं झुकि आशीष लेलहुं
जेठ सार कें
प्रणाम केलहुं !
बच्चा बुच्ची कें
हम सिखा रहल छी
ककरो नहि प्रणाम करू
हाँ ! जखन कतो काज
रहय
शिष्टताक मान करू!!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका