Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2021 · 1 min read

हम और तुम

————————————————-
मिट्टी खोदकर तुमने कंद,मूल,जड़ी-बूटी निकाले।
मिट्टी खोदकर हमने निकाला स्वर्ण।
तुम इतना ही क्यों कर पाये?
मंदिरों में लेटकर साष्टांग, तुमने प्रार्थनाएँ की।
मंदिरों में लिटाकर साष्टांग, हमने दक्षिणा वसूले।
तुम ऐसा ही क्यों कर पाये?
कर और दक्षिणा में तुमने किया अंतर।
कर और दक्षिणा में हमने एकरैखिक समानता देखी।
तुम इतना ही क्यों समझ पाये?
सभ्यता की परिभाषा, तुमने गुप्तांग ढँककर पूरी की।
सभ्यता की परिभाषा, हमने गुप्तांग नग्न कर समझाए।
तुम इतना क्यों नहीं झेल पाये!
संस्कृति को जीवित रखना तुमने कर्म समझा।
संस्कृति को जीवित रखना हमने शासन।
तुम इतना क्यों नहीं देख पाये?
लोहा पिघलाकर कुदाल,फाल,फावड़े तुमने बनाए।
लोहा पिघलवाकर तीर,तलवार,भाले हमने बनवाये।
नियंत्रित करने तेरी आजादी,तुम देख क्यों न पाये?
रात में सोकर तुमने उतारी अपनी थकान।
रात में सोकर देखे हमने साम्राज्य के सपने।
तुम भविष्य के सपने क्यों नहीं देख पाये?
राजनीति को कल्याण का पर्याय माना तुमने।
राजनीति को अय्याशी की अनुमति माना हमने।
तुम इसके भागीदार होने क्यों छटपटाए?
——————————————————

Language: Hindi
532 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरी याद.....!
तेरी याद.....!
singh kunwar sarvendra vikram
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
मेरे अंदर भी इक अमृता है
मेरे अंदर भी इक अमृता है
Shweta Soni
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
शिवम "सहज"
हमारा संघर्ष
हमारा संघर्ष
पूर्वार्थ
रूपमाला
रूपमाला
डॉ.सीमा अग्रवाल
क्रोधी सदा भूत में जीता
क्रोधी सदा भूत में जीता
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शक्ति स्वरूपा कन्या
शक्ति स्वरूपा कन्या
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
मेरे सनम
मेरे सनम
Shiv yadav
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
कठपुतली
कठपुतली
Shyam Sundar Subramanian
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"गलतफहमी"
Dr. Kishan tandon kranti
मौसम का मिजाज़ अलबेला
मौसम का मिजाज़ अलबेला
Buddha Prakash
वादा निभाना
वादा निभाना
surenderpal vaidya
■ कौन बताएगा...?
■ कौन बताएगा...?
*प्रणय*
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
कैसा क़हर है क़ुदरत
कैसा क़हर है क़ुदरत
Atul "Krishn"
हौसला देने वाले अशआर
हौसला देने वाले अशआर
Dr fauzia Naseem shad
ए मौत आ, आज रात
ए मौत आ, आज रात
Ashwini sharma
अभी सत्य की खोज जारी है...
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
जो मिला ही नहीं
जो मिला ही नहीं
Dr. Rajeev Jain
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
जिंदगी
जिंदगी
Dr.Priya Soni Khare
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
आज की हकीकत
आज की हकीकत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*दिल के दीये जलते रहें*
*दिल के दीये जलते रहें*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...