हमें भी याद रखियेगा..
सांसो की महक से गुले-गुलफाम आबाद रखियेगा।
भले ही अपनी नज़रों में , औरों के बाद रखियेगा।
हम नाचीज़ तो इस काबिल हरगिज़ नहीं फिर भी,
हो सके तो अपनी दुआओं में हमे भी याद रखियेगा।
हम तो शजर के फूल है शाम तलक बिखर जायेंगे,
इल्तिजा है हमारी खुश्बु पे ज़रा ऐतमाद रखियेगा।
फलक से लौटकर परिंदा एक दिन आएगा जमी पे,
टूटती उम्मीदों के बाबस्ता,थोड़ी फरियाद रखियेगा।
मुमकिन नहीं की मेरी चाहत हकीकत में तब्दील हो,
पर दिल के रिश्ते के भरम को आबाद रखियेगा।
@नूरैन अंसारी