हमें भी बता दो जहाँ जा रहे हो
कभी तो कहो की कहाँ जा रहे हो
हमें भी बता दो जहाँ जा रहे हो
वफ़ा और मंज़िल इशारा बनी हैं
न जाने सफर ले कहाँ जा रहे हो
ज़रा आसरा दो दीवाना बना कर
जुनूं बेकदर ले कहाँ जा रहे हो
खिसकना अगर है करीबा-भी जाओ
सरकते सरकते कहाँ जा रहे हो
लिखा नाम हमने गुमाँ से मोहब्बत
मिटाते लुटाते कहाँ जा रहे हो
बेनामी बनेगी दिलों की शिकायत
ले आवारगी अब कहाँ जा रहे हो।
~ सूफ़ी बेनाम