हमें अब छोड़ती दुनिया
लगा दी आग अब दिल में,तमाशा देखती दुनिया,
मज़ा तुम भी कभी लूटो,है’ जैसे लूटती दुनिया ।
हमारा क्या तुम्हारा क्या,बराबर हो नहीं सकते,
हमें दिल हारना तुम पर,तुम्हें है पूजती दुनिया ।
मगर सुनलो कभी ऐसे,न औरों से किया करना,
किया जैसा हमारे सँग,हमें अब खोजती दुनिया ।
तुम्हें आया यकीं कब था,लगी दिल की नहीं जानी,
भला उस बेमुरव्वत का,जिसे दिल चाहती दुनिया ।
रहा अंजान मैं तुमको,यही ‘अंजान’ की क़िस्मत,
ख़ुदा बख़्शे तुम्हें रहमत,हमें अब छोड़ती दुनिया ।