“हमारे नेता “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल “
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न मधुर गायन है मेरी
न राग का मैं ज्ञानी हूँ!
किसी तरह चल रहा है
मैं तो बड़ा अज्ञानी हूँ !!
कविता नहीं लिखता हूँ
गद्य नहीं जनता हूँ !
व्यंग नहीं आता मुझको
टिप्पणी से मैं डरता हूँ !!
मित्र नहीं कोई हैं मेरे ,
व्यथा मैं किसको कहूँ !
अकेला हो गया हूँ यारों ,
कहूँ तो किसको मैं कहूँ !!
लोग सब करते झगड़ा ,
बाद वो पढ़ते फकड़ा !!
घर में ही मैं बैठा हूँ ,
बाहर नहीं निकलता हूँ !!
कोई नहीं हैं साथ मेरे ,
जिसके सँग मैं जुड़ा हूँ !
श्रोता भी न बन सका ,
भाषण न कभी देता हूँ !!
कान मेरे बंद रहते हैं ,
अनभिज्ञ मैं रहता हूँ !
लोग सब जिता देते हैं ,
नेतृत्व मैं करता हूँ !!
मैं सिर्फ वहाँ सोता रहा ,
नेता लोगोंने बना दिया !!
मंहगाई से क्या लेना ?
बेरोजगारी फैला दिया !!
एसे निष्क्रिय मैं नेता हूँ ,
देश का मैं अभिनेता हूँ !
नाटक सिर्फ मैं करता हूँ ,
अपने देश को पूजता हूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
नाग पथ
शिव पहाड़
दुमका
03.12.2023