हमारे दोस्त
कभी हज़ार कभी दो हज़ार मांगेंगे
जहां मिलेंगे ये तुमसे उधार मांगेंगे
इन्हें पता है कि इनको तलब है बीड़ी की
मगर ये आप से मंहगी सिगार मांगेंगे
चिकन खरीदेंगे बस हाफ प्लेट, ढाबे पर
मगर चिकन की तरी बार-बार मांगेंगे
अजीब शौक हैं इनके दिखावा करने के
बियर के साथ में निम्बू अचार मांगेंगे
खरीद पाएंगे ख़ुद से न साइकिल रिक्शा
मगर दहेज में लाखों की कार मांगेंगे
— शिवकुमार बिलगरामी