*हमारे देवता जितने हैं, सारे शस्त्रधारी हैं (हिंदी गजल)*
हमारे देवता जितने हैं, सारे शस्त्रधारी हैं (हिंदी गजल)
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हमारी पूज्य दुर्गा, सिंह पर करती सवारी हैं
हमारे देवता जितने हैं, सारे शस्त्रधारी हैं
सुदर्शन कृष्ण का, गांडीव अर्जुन का पुकारो फिर
कहो फिर लक्ष्मीबाई, यहाँ की वीर नारी हैं
उपासक शस्त्रधारी, देवताओं के सदा से हम
न समझो यह कि केवल हम, अहिंसा के पुजारी हैं
हमारे सामने कैसे, टिकेगा देश हमलावर
हमारे वीर सैनिक एक, ही सौ-सौ से भारी हैं
हमें फिर देश में सबके, मनोबल को बढ़ाना है
न संकट कम हुए हैं, देश पर ये अब भी जारी हैं
कभी हम सबसे कहते हैं, अहिंसा की शपथ खाओ
कभी तलवारें हाथों में, हमारे ही दुधारी हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451