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6 Jul 2024 · 1 min read

हमारे दुश्मन सारे

हमारे दुश्मन सारे
हमारे मन में होते हैं
हम उन्हें बाहर ढूंढते हैं
कुछ तो घर में ही मिल जाते हैं
हम ठहरे नादान परिंदे जो
समाज को दुश्मन समझते हैं
_ सोनम पुनीत दुबे

3 Likes · 1 Comment · 135 Views
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