हमारे दुश्मन सारे
हमारे दुश्मन सारे
हमारे मन में होते हैं
हम उन्हें बाहर ढूंढते हैं
कुछ तो घर में ही मिल जाते हैं
हम ठहरे नादान परिंदे जो
समाज को दुश्मन समझते हैं
_ सोनम पुनीत दुबे
हमारे दुश्मन सारे
हमारे मन में होते हैं
हम उन्हें बाहर ढूंढते हैं
कुछ तो घर में ही मिल जाते हैं
हम ठहरे नादान परिंदे जो
समाज को दुश्मन समझते हैं
_ सोनम पुनीत दुबे