हमारे जीवन में “पिता” का साया
“हमारे जीवन में पिता का साया”
पिता का नाम ही काफी है ।जीने के लिए उनकी मुस्कान ही काफी है ।।
जिनके सिर पर है, पिता का साया ।वह इस दुनिया की बुनियाद हिला पाया ।।
जिनका आशीर्वाद हमारे साथ है। वही हमारा बह्मात्र है।।
जिन्दगी जीना है जिनके लिए उनका तो नाम ही काफी है ।
परिवार की हैं वो शान, उन बिन दुनिया ये वीरान ।।
है, जिम्मेदारियों का पहाड़ उनके सिर पर। पर वे न घबराते इस कदर। और निभाते अपना किरदार इस कदर।।
खो जाता है धीरज जिनका उस कदर।
पिता की छांव में आ जाते वे इस कदर।।
मानो पिता तो एक एहसास है, जिनका दीदार ही कुछ खास है।
जब उड जाती है फिक्र हमारी उस कदर जब पिता का लाड हो इस कदर।।
हम पल – बड़े हैं तो पिता का ही एहसान हैं जिसने जीवन दिया हमें वहीं ईश्वर समान है पिता ही आन है, पिता ही मान हैं पिता की फिक्र को फक्र में बदलना ही मेरी शान हैं।।
जिदंगी जीने के लिए एक एहसान ही काफी है।
जिसने बनाया इस कदर वह “पिता” नाम ही काफी हैं।।
धन्यवाद
स्वरचित एवं मौलिक
इंजी. लोकेश शर्मा (लेखक)
खेड़ली, अलवर (राजस्थान)