हमारी प्यारी मां
ममता का एक घड़ा है माँ।
देवी का स्वरूप है माँ।
हमारी हर एक मुस्कान में
बसी हुई है हमारी प्यारी माँ।
इंद्रधनुष के रंगों जैसे
खूबसूरती का भंडार है माँ।
हमें पेटभर खिलाकर
खुद भूखे पेट सो जाती हैं माँ।
ख़ुद के चाहे कितने ही सपने टूटे हो
पर हमारे हर सपने को साकार करती है मां
फिर भी न जाने क्यों हम लोग
अपमान उसका करते हैं?
ममता की मूरत को हम लोग
ख्याल नहीं रखा करते हैं।
जाने अनजाने में दुख उसको पहुंचा देते है
फिर भी वो कुछ नहीं कहती है
सबकुछ मन में दबाए रखती है
बस हमेशा वो खुश रहती है
अपने बच्चों को आशीष वो देती रहती है।