“हमारी कहानी दरमियाँ”
सवालों जवाबों सी हो गई है हमारी कहानी दरमियाँ
गुमसुम से सवाल चुपचाप से जवाब रवानी दरमियाँ
जैसे बादलों से फ़िज़ा कुछ कहना चाहती हो कभी
लफ्ज़ फ़िर भी तरसते हैं ,होंठो से ज़ुबानी दरमियाँ
क्या तुम्हें पता है मेरी तन्हाई का आलम ऐ रहगुज़र
क्या तुम खोयी हो कभी यादों से यादों के दरमियाँ
मुझें पता है तुम भी कभी आईने से बातें करती होगी
औऱ करती होंगीं मेरे तसव्वुर में बातें रूहानी दरमियाँ
तुम ख़ुशबू सी बनकर आयी थी, इक़ सुबहा के जैसे
जगाकर बढ़ा देती थी इस क़दर मेरी बेक़रारी दरमियाँ
दूरियाँ नज़दीकियां बनने लगती थी तुम्हारें मुस्करानें से
जितना क़रीब आती थी उतना प्यार बढ़ाती थी दरमियाँ
हां मैंने देखी है झलक तुम्हारी आँखों मोहब्ब्त के निशां
सवालों जवाबों सी हो गयी है ये हमारी कहानी दरमियाँ
___अजय “अग्यार