हमारा सुकून:अपना गाँव
आज सुबह शहर से गाँव आया,
तो अहसास हुआ,
ताजी हवा के साथ,चित निर्मल हो रहा।
चेहरे पर एक अलग सी चमक,
मन में एक अलग सी सुकून,
मानो स्वर्ग में प्रवेश हो रहा ।
धरा पर नग्न पांव पड़ते ही,
गति रति एक साथ बढ़ा,
जैसे सूखे पेड़ को नीर मिला हो।
खेतो की हरियाली देख,
अंतश हर्षोल्लाहित हो उठा,
जैसे कचरे में खिलता कमल हो।
चिड़ियों की चहचकाती स्वर,
खेतो में बहती जल,छल छल सी स्वर
मानो चित को मंत्रमुग्ध कर रही हो।
गाँव की एकता,संस्कृति
सत्य,ईमान और सहानभूति की भावना,
मानो एक संस्कार सीखा रही हो।
~S.KABIRA