*हमारा संविधान*
डॉ.अम्बेडकर शत-शत नमन, दिया अमूल्य संविधान।
मेरे लिए भी है यह, पवित्र ग्रंथ महान।।१।।
संविधान है हम हैं, कर लो इसका पान।
यह तुम्हें बचाएगा, कठिन घड़ी में आन।।२।।
दुनिया का पवित्र ग्रंथ, इससे चलता देश।
एक बनाए एकता में पिरोए,न करें कोई द्वेष।।३।।
सब मानव समान है, यही इसकी पहचान।
जाति धर्म चाहे कुछ हों, समान सब इंसान।।४।।
एक लाइन में खड़ा करें, राजा हो चाहे रंक।
बिना इसके न देश चले, ऐसा इसका ढंग।।५।।
समय मिले इसको पढ़ो, समझो इसका सार।
यही तुम्हें बचाएगा, जब बीच आओ मझधार।।६।।
चारों ओर से नोचते, इस ग्रंथ को आज।
ऐसे भेड़ियों से बचाओ, रहे इसका राज।।७।।
अधिकार समान दिए, नर हो चाहे नारी।
बचा लो इस ग्रंथ को, खुद मुश्किल में भारी।।८।।
दुष्यन्त कुमार बता रहा, संविधान है खास।
इसके अतिरिक्त नहीं है, और पर विश्वास।।९।।