हमारा भारत ( कविता) पुनीत छंद
पुनीत छंद
15 मात्राएँ अंत तगण
हमारा भारत
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अपना भारत सबकी शान।
इसमें सभी गुणों की खान।।
चलता सदा सत्य की राह ।
दुनिया भर में इसकी चाह ।।
झुकते अमरीका जापान ।
जकते रूस चीन भूटान।
लड़ता पाक बजे फिर बैण्ड।
कपते थाइलैण्ड,इंग्लैंड। ।
फैला सूरज सा आलोक।
चाहे कहीं नहीं हो शोक
जो भी इसे लगाये रोक ।
देता है पैरों से ठोक ।।
करता कुरीतियों का दाह
करता जगहित का आगाह।
सत्ता में बैठे नर नाह ।
मुद मंगलमय मोदी शाह ।।
ना तो जाति धर्म का भेद।
ना तो रूप रंग का खेद ।।
मिलकर रहते सब इन्सान।
मानें अल्ला वा भगवान।।
ईशाई मुस्लिम सरदार।
करते सभी वतन से प्यार।।
सीमा पर जब भी हो वार।
हँसके होते सब तैयार। ।
फहरे ध्वजा तिरंगा मीत।
गूँजे वन्दे-मातरम् गीत।।
प्यारा न्यारा हिंदुस्तान।
इसमें बसते सबके प्रान।
हम सब हैं इसकी संतान।
इसका गायें गौरव गान।।
आजादी का समझें मोल ।
भारत माता की जय बोल।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश