हमारा देश
बात जब देश की हो तो हर देशवासी अपने देश को प्रगति की राह में जाते हुए आगे बड़ते हुए और समृद्ध देखना चाहता है। पर न चाहते हुए भी आज जो देश के हालात बने हुए हैं उनसे हर कोई वाकिफ है। क्या देश की सुरक्षा और आन,शान की ज़िम्मेदारी सिर्फ देश के सैनिको या कुछ नेताओं का ही काम है क्या इसमें आम लोगों को कोई सरोकार नहीं होना चाहिए। दिन प्रतिदिन बड़ता भर्ष्टाचार, आतंकवाद इस वक्त देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। सिर्फ एक दूसरे को उसकी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाना या दूसरे को दोष देना सही नहीं है बल्कि अब वो समय आ गया है कि आपसी मतभेद भुलाकर सिर्फ देश के हित में जो बात हो, जो सही हो उसका साथ दिया जाए। आज़ादी पाकर भी अगर हम देश की अखंडता और एकता को न कायम रख पाए तो यह हमारे देश के लिए चिन्ता का विषय होगा। आतंकवाद की जड़ें धीरे धीरे देश को खोखला कर रही हैं। अगर अब भी आम जनता जागरूक न हुई तो बहुत देर हो जाएगी जिसके परिणाम बहुत घातक भी हो सकते हैं। क्योंकि बाहर के दिखाई देने वाले दुश्मनों से लड़ा जा सकता है पर देश के भीतर जो देश विरोधी नारे या देश के खिलाफ ताक्तें उभर रही हैं उन्हें समय रहते रोकना होगा। देश सिर्फ मेरा या तेरा नहीं है और न ही इसे किसी तरह से अलग देखा जा सकता है बस सबको मिलकर सजग रहना होगा बड़ रही चुनौतियों का समझदारी से और मिलजुल कर सामना करना होगा,क्योंकि अब एक होकर देश को मजबूत और सशक्त बनाने का समय आ गया है। इसके लिए हमें निरंत्तर प्रयासरत रहना होगा क्योंकि यह हमारा देश है। इसकी सुरक्षा और आन ,शान की ज़िम्मेदारी हम सब की है।।।
कामनी गुप्ता ***