हमारा देश भारत
* हमारा देश भारत *
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बढ़ रहा स्वर्णिम लिए आभा हमारा देश भारत।
शक्तिशाली है अखिल जग का सहारा देश भारत।
वेद उपनिषदों का सबको ज्ञान मिलता है यहां पर।
सर्वहित में ज्ञान का सागर छलकता है यहां पर।
है यही क्रम देशभर में नित्य ही अविरल प्रवाहित।
सृष्टि की कल्याणकारी शक्ति है इसमें समाहित।
विश्व नभ का है चमकता प्रिय सितारा देश भारत।
बढ़ रहा स्वर्णिम लिए……
देवियों की देवताओं की सुपावन कर्म भू यह।
ज्ञान गीता का सुनाती है सभी को धर्म भू यह।
देखता संसार हमको आज भी मुश्किल समय में।
स्नेह सागर है छलकता भावना भर हर हृदय में।
दिव्य दृष्टि प्राप्त ऋषियों ने निहारा देश भारत।
बढ़ रहा स्वर्णिम लिए…..
है सुपावन हिम शिखर कैलाश शिव का धाम अनुपम।
गीत कल-कल गा रही नदियां अहर्निश स्नेह सरगम।
आ रहा है भव्यता से लौट फिर वैभव पुराना।
देशवासी चाहते हैं कुछ नया कर के दिखाना।
पुण्यदायी शारदे मां का दुलारा देश भारत।
बढ़ रहा स्वर्णिम लिए……
शौर्य का इतिहास अपना त्याग गौरवमय लिए है।
देशहित बलिदान की गाथा हृदय झंकृत किए है।
हैं अहर्निश राष्ट्र रक्षा में जुटे सैनिक हमारे।
दाँव पर जीवन लगाते भारती के पुत्र प्यारे।
प्राण से बढ़कर सभी को नित्य प्यारा देश भारत।
बढ़ रहा स्वर्णिम लिए……
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)