हमारा दिल।
हमारा दिल हमारा साथ देता नही है।
समझाया बहुत पर उनसे नफरत करता नही है।।
पहले तो इसने सीने में अरमां जगायें।
पर अब ये ज़ालिम उनको ही पूरा करता नहीं है।।
कमबख्त यह ना रोता है ना हंसता है।
जो बात हमें तकलीफ़ दे यह बस करता वही है।।
रोका बहुत उनसे मोहब्बत करने से।
पर ठहरा दुश्मन हमारा कोई बात सुनता नहीं है।।
प्यासी होकर जमीं बंजर बन गई है।
यह बैरी बादल भी वक्त पे कभी बरसता नहीं है।।
फरियाद लेकर जाएं तो जाएं कहां।
खुदा भी अब दुआओं को हमारी सुनता नहीं है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ