हमसाया
हमसाया
(क्षणिका)
गोरी के गाँव मे
पीपल की छाँव में
बैठे थे हम-
मैं और मेरे गम
फिर भी
मन मुस्काया
भीनीं-सी महक लिए
गुजरी यादें
बन हमसाया।
-©नवल किशोर सिंह
हमसाया
(क्षणिका)
गोरी के गाँव मे
पीपल की छाँव में
बैठे थे हम-
मैं और मेरे गम
फिर भी
मन मुस्काया
भीनीं-सी महक लिए
गुजरी यादें
बन हमसाया।
-©नवल किशोर सिंह