हमसफ़र…..
दिन- गुरुवार
दिनाँक- 5/11/2020
रचनाकार- रेखा कापसे
जब से आए हो तुम, हमदम मेरे जीवन में!
हसीं ख्वाब पलने लगे हैं, नित मेरे मन में!!
लबों की हँसी तुम हो, मेरा श्रंगार तुम्हीं से!
साँसों की महक तुम, तुम्हीं हिय स्पंदन में!!
पहली मुलाकात में, लगा जैसे फरिश्ता हो!
जन्मों जन्मांतर से, तुम से कोई रिश्ता हो!!
बँधे सात फेरो संग, फिर दिल के जज्बात!
आयी जीवन में जैसे, खुशियों की सौगात!!
सुरभित हुई संग तेरे, मेरी सूनी सी ये डगर!
सुख-दुख के बन साथी, बसायेंगे नव नगर!!
कदम मिलाकर चलना, ना आगे ना पीछे!!
बीच राह छोड़ ना जाना, मुझे ए हमसफ़र!!
तुम बोलो मैं सुनूँ, मेरा मन भी पढ़ लेना तुम!
धागे कच्ची डोर के, सविश्वास गढ़ लेना तुम!!
स्नेह सींचन से पनपती , प्यार की बेल तह!
साथ रहुँगी हरदम तेरे, खूब जमेंगा मेल यह!!
रूठूँ जाऊँ कभी तुमसे, मुझे मना लेना तुम!
रूठ कर मुझसे कभी, अपना बना लेना तुम!!
ख्वाब सजाएंगे मिल, दोनों शीर्ष गगन के!
पूर्ण होंगे स्वप्न सभी, प्रयत्नों के मगन से!!
रेखा कापसे
होशंगाबाद मप्र
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित