हमसफर
हमसफर
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है जिंदगी हम सफर के बिना कट नहीं सकती,कट सकती तो हमसफर की इतनी अहमियत नहीं होती
एक छोटी सी कविता है,
समंदर के लहरों सी,
लहराती हुई जिंदगी।
सम्हालते हुए चलते,
दो हमसफर ।
कभी हँसते,कभी रोते।
आते कभी बवंडर,
कभी काले बादल ।
ड़रते हैं दोनो ।
करते मुकाबला ।
हँसकर..
छटते बादल,
समय के साथ ।
हमसफर का जो,
होता हैं साथ ।
कभी शिकवे होते,
शिकायत भी होती,
लेकिन चाहत होती,
चलता रहें सफर,
हमसफर संग ।
सात जन्म तक ।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव