हमसफर की आहट
दिल में नमी और होंठों ,
पर हंसी हो।
पर आंखें न हमसफर ,
से छिपी हों।
आवाज़ में मीठा पन,
दिल में हो तडपन।
हर मिठास में भी पढ ले वो,
यदि आवाज़ में हो भारी पन।
हर दुख की आहट की,
हो पहचान उसे।
किसी के आगे रोने की न,
आय नोबत मुझे।
इतना प्यार कर कैसे ,
लेता है कोई।
किताबों या सपनों का,
महल लगता है।
हमसफर हो तो ऐसा,
हर कोई।