हमने तुमसे कुछ नहीं चाहा __ कविता
हमने तुमसे कुछ नहीं चाहा।
चाहा था बस अपना पन।
वह तो तुमने दिया नहीं है,
और बढ़ा दी है उलझन।।
यह कैसी सोच तुम्हारी,
चुरा ली नींद हमारी।।
हर दिन हर पल बार बार,
तुमने मुझको कोसा।
सच सच में तो कहता रहा,
तुमने झूठ परोसा।।
तुम जैसा मैं बन सका ना,
अलग की सोच हमारी।
यह कैसी सोच तुम्हारी।।
राजेश व्यास अनुनय