हमने जिससे प्यार किया है
हमने जिससे प्यार किया है,जीवन उसपे वार दिया है।
सपने में भी न भुला जाए,साँसों का वो तार किया है।।
दिन-रात उसी की बातें हों,
जब दिल से दिल के नातें हों,
रूठे तो मन को तड़फाए,
मोहब्बत की सौग़ातें हों,
यार गले का हार किया है,दीवानों-सा प्यार किया है,
अपनी ख़ुशियाँ देकर उसको,उसका हर ग़म लिया है।।
होठों की शुभ मुस्क़ान कहूँ,
अपने जीवन की तान कहूँ,
जिससे महके घर का कोना,
वो हँसता-सा उद्यान कहूँ,
हँसके जीवन हार दिया है,चाहत का उपहार दिया है।
जिसका कोई मोल नहीं है,यादों का संसार दिया है।।
वो क़श्ती मैं पतवार बना,
वो हस्ती मैं रफ़्तार बना,
पग-पग फूल बिछाए मैंने,
सपनों का मैं दीदार बना,
दोस्ती का व्यवहार दिया है,उत्साही शृंगार दिया है।
जिससे हो जाए दिल ताज़ा,बाँहों का वो हार दिया है।।
धूप हुई तो छाँव बना हूँ,
ज़ख्म लगा तो पाँव बना हूँ,
मुख से रूठे न हँसी उसके,
मस्ती का मैं ठाँव बना हूँ,
हिम्मत का अशआर दिया है,ताक़त का हथियार दिया है।
मंज़िल हो जाए दीवानी,ज़ोश भरा इज़हार दिया है।।
–आर.एस.प्रीतम
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