हमको भी सबकी रखना खबर चाहिए
अपनी मस्ती में ही चूर अब हम न हों।
हमको भी सबकी रखना खबर चाहिए।।
गिरते गिरते कभी तो सँभल जाएंगे।
टूटे दिल मे भी थोड़ा जिगर चाहिए।।
जब परेशां हो जुल्मी के आघात से।
मत दबाना खबर बात ही बात से।।
जन्मो तक रूह काँपे गुनहगार की।
हो मुकर्रर सजा कोई डर चाहिए।।
वो बहुत दूर है ऐशो आराम से।
कोई मौसम में रुकता नही काम से।।
भूखे बच्चे न सोएं दो रोटी मिलें।
सिर छुपाने को छोटा सा घर चाहिए।।
वेषभूषा अलग रूप हैं बस जुदा।
तुम पुकारो उसे रब कहो या खुदा।।
चर्च मन्दिर या मस्जिद गुरुद्वारा हो।
बस दुआओं में अपनी असर चाहिए।।
आज खतरे में है सारा पर्यावरण।
वायु औ नीर के बिन ही होगा मरण।।
रोज आगाह करती है सुखी नदी।
ये समय है लगालो शजर चाहिए।।
✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव