हमको अब पढ़ने स्कूल जाना है
ठाना है , ठाना है , हमने ठाना है।
हमको अब पढ़ने, स्कूल जाना है।।
नहीं रुकेंगे हम, किसी के कहने पर।
हमको अब पढ़ने,स्कूल जाना है।।
ठाना है, ठाना है———————।।
पढ़ने से ही सीखेंगे हम, जोड़ – बाकी करना।
क्या लिखा है सामने, उसको हम पढ़ना।।
नहीं रहेंगे पीछे और अंधेरे में ।
शिक्षा की रोशनी में, ज्ञान पाना है।।
ठाना है, ठाना है,————————-।।
कोई कहे हमको अनपढ़, यह हम नहीं चाहते।
सच में अब अंगूठा लगाना, हम नहीं चाहते।।
पढ़ने से ही बनते हैं , डॉक्टर- कलेक्टर।
हमको भी पढ़कर, मंजिल यह पाना है।।
ठाना है, ठाना है , —————————-।।
जो नहीं होता पढ़ा-लिखा, सब उसको ठगते हैं।
सब उसको समझकर पागल, उसपे सब हँसते हैं।।
धन से भी बढ़कर बलवान, यह शिक्षा होती है।
पढ़- लिखकर हमको भी , नाम रोशन करना है।।
ठाना है, ठाना है,———————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)