हनुमान
आज् हनुमान जी के चित्र पर कविता
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अंजनि के लाल
वाह रे तेरा क्या है
कमाल ,,
जब तु छोटा था
सूरज को निगला था
तब तेरा मुह भी लाल लाल हुआ था ।
तेरे हस्त में छोटा गोठा था
अंजनि के लाल
वाह रे तेरा क्या है
कमाल ।।
बहुत उछल कूद करता था
अपने मुनि को सताता था
तब उनके श्रॉफ से अपनी दिव्य शक्ति को खो बेठा था
अंजनि के लाल वाह रे
तेरा क्या हैं कमाल
जब तू बड़ा हुआ था
गिद्ध राज जटायु ने तेरी शक्ति को स्मरण कराया था
फिर चला पड़ा भव सागर को पार ,,,
लंका को अपनी लंबी पूछ से जलाया था ।
अंजनी के लाल ।,,,,
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जब लक्ष्मण मूर्छित हुआ था
तो दवा के नाम पर
पूरा ही संजीवनी बूटी के पर्वत को ही उठाके लाया था ।
वाह रे अंजनी के लाल,,,,,
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जब त्री लोग के नाथ
श्री राम को ही ह्रदय में बसाया था
तब जानकी सीता माता का लाल सिंदूर जगतनाथ को खुश करने के लिए
अपने पूरे तन पर पूरा वस्त्र ही बनाया था
वाह रे अंजनी के लाल ,,,,
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ऐसे ही राम दूत के हनुमान
सजाउ रे आरती से भरा फूल हार ,,
जय वीर हनुमान
दुष्ट गद्दार ,आतंकी को मार।
जंजीर से झगड़ी भारत माता को बचा
इस धरा पर एक बार अंजनी के लाल आजा।
दुष्टों आतंकी को मार गिरा जा
प्रवीण करे तेरी चालीसा हर मंगलवार और शनिवार ,,
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हैवान ,शैतान
रिश्वत ,दुराचारी ,पापी ,गद्दार ,
अंजनी के लाल इन सबको मार।।
✍ प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित
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टी एल एम् ग्रुप संचालक ताल
दिनांक 31/03/2018
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