हनुमान बनना चाहूॅंगा
यह तथ्य सिद्ध सत्य बन गया, है रामायण ग्रंथ जिसका आधार।
एक सत्य सैकड़ों असत्य से बड़ा, यह सीख दे जाते हैं बारम्बार।
वो युग तो सत्य का युग था, जिस युग में हुआ था यह चमत्कार।
शिव जी ने दिव्य शक्तियों से, वानर के रूप में ले लिया अवतार।
जिसने माॅं सीता को ढूॅंढा, मैं वह सटीक अनुमान बनना चाहूॅंगा।
यदि मुझे अवसर मिले तो रामलीला में मैं हनुमान बनना चाहूॅंगा।
अपने बचपन में बजरंगी ने, एक बार कर दिया था ऐसा कमाल।
पालने में झूलते हुए उन्हें दिखा था, एक ताज़ा फल लाल-लाल।
फल के स्वाद की उत्कंठा ने, उनकी धमनियों में यूं मारा उछाल।
गर्म सूरज अपने मुख में रखा था, हुआ राहु का डर से बुरा हाल।
जिसे सभी नित गुनगुनाऍं, मैं ऐसा भक्तिमय गान बनना चाहूॅंगा।
यदि मुझे अवसर मिले तो रामलीला में मैं हनुमान बनना चाहूॅंगा।
हनुमान को बाल्यावस्था में, सारे देवताओं से वरदान मिल गया।
सूर्यदेव से शिक्षा प्राप्त कर, उनका शिष्य रूपी पुष्प खिल गया।
सुग्रीव से मिले तो सखा बन गए, श्री राम मिले तो बन गए भक्त।
भक्ति-शक्ति व धैर्य-शौर्य से, इन्होंने किया सेवा का मार्ग प्रशस्त।
ऊॅंचे शिखर और गहरी गुफ़ा में बजरंगी का ध्यान बनना चाहूॅंगा।
यदि मुझे अवसर मिले तो रामलीला में मैं हनुमान बनना चाहूॅंगा।
बजरंगबली बल भूल चुके थे, जामवंत ने शक्ति की याद दिलाई।
पर्वत समुद्र में जाकर समाया, हनुमत ने ज़ोरदार छलांग लगाई।
क्रोध में अशोक वाटिका उजाड़ी, दानव नगरी में वीरता दिखाई।
राक्षसों को पहुँचाया धाम, हनुमान ने सीता मां की लाज बचाई।
रक्षक बनकर श्रीराम संग पूरे रघुकुल का सम्मान बनना चाहूॅंगा।
यदि मुझे अवसर मिले तो रामलीला में मैं हनुमान बनना चाहूॅंगा।