हथेली का गुलाब
गुलाब महके हथेली पर, सोचूँ किसे दूँ ये निशान!
सीना पर फौजी खड़ा, सड़क पर खड़ा है किसान!!
खून पसीना एक करे जो, उसे क्यों ना दें हम गुलाब!
खाकी वर्दी में सजा है, देश की सीमा पर आफताब!
हर बच्चा अंधा होकर, देख ढूंढ रहा हर तरफ शवाब!
नए नए ये डे मनाकर, पूरे कर रहे हैं कौनसे ख्वाब!
अमन चैन ना रहा यहां,होठो पर भी ना रही मुस्कान!
गुलाब महके हथेली पर, सोचूँ किसको दूँ ये निशान!!
मेरे देश की युवा पीढ़ी आज वैलेंटाइन डे रही बता!
देकर गुलाब एक दूसरे को, अपना प्यार रही जता!
पुलवामा अटैक की क्यो ना, इनको याद रही सता!
जवान किसान मर रहा, क्या है सुषमा इनकी खता!
इंसानियत हो रही खत्म, दिख रहा हर कोई शैतान!
राजनीति की गन्दी चाल, बन बैठी सरकार हैवान!!
देश मे हाहाकार मचा, मिट रहे “मलिक” के अरमान!
गुलाब महके हथेली पर, सोचूँ किसको दूँ ये निशान!!
सुषमा मलिक “अदब”
रोहतक (हरियाणा)