“हठी”
“हठी”
हठी-हठी कहकर ये जमाना
बेवज़ह लांछन लगाता है
बचपन पर, नारी पर, राजा पर
हठी तो वो सूरज है
जो मना करने पर भी
ग्रीष्म में अग्निस्नान कराता है,
शिशिर में सारे आतप त्यागकर
हाँड़ तलक कँपकँपाता है।
“हठी”
हठी-हठी कहकर ये जमाना
बेवज़ह लांछन लगाता है
बचपन पर, नारी पर, राजा पर
हठी तो वो सूरज है
जो मना करने पर भी
ग्रीष्म में अग्निस्नान कराता है,
शिशिर में सारे आतप त्यागकर
हाँड़ तलक कँपकँपाता है।