हजारों दुख़ों को उठाते रहे।
गज़ल
122….122….122…12
हजारों दुख़ों को उठाते रहे।
मेरी जिंदगी को बनाते रहे।
वही एक ऐसे थे अपने मेरे,
सभी दर्द गम से बचाते रहे।
अमानत मे करना खयानत नहीं,
यही पाठ सबको पढ़ाते रहे।
नज़र आँख की उनके कम थी मगर,
हमें रास्ता वो दिखाते रहे।
भले खुद वो भूखे रहे हों मगर,
मुझे प्यार से वो खिलाते रहे।
चलो गम बटाएं यही सोचकर,
गज़ल गीत नगमें सुनाते रहे।
करो प्यार दौलत है सबसे बड़ी,
थे प्रेमी सभी को बताते रहे।
……✍️ प्रेमी