शिकायत जिंदगी से
ये ज़िंदगी इम्तिहान लेती है
मिले जो भी सब छीन लेती है
किश्तों में देती है ये खुशियां
एक पल में सब छीन लेती है।।
तिनका तिनका जोड़ कर
बनाता है इंसान घरौंदा अपना
लाकर कहीं से हवा का झौंका
एक पल में उसे तोड़ देती है।।
ये ज़िंदगी बड़ी बेरहम है
दुधमुहे बच्चे को भी
अनाथ करके छोड़ देती है
जिंदगीभर लड़ा जो हर लड़ाई
बुढ़ापे का सहारा छीन
उसको भी तोड़ देती है।।
नहीं है किसी पर दया इसको
यही तो है जिंदगी की सच्चाई
हो कोई राजा या हो कोई रंक
एक दिन सबकी तय है विदाई।।
आज खुश है जो कोई
कल गम भी मिलेंगे उसको
जहां में ऐसा कोई नहीं
खुशियां ही मिली हो जिसको।।
जिन्दगी ही जीना सिखाती है
हर गम को सहना सिखाती है
जो जहां में है सबसे प्यारा हमें
उसके बिना रहना सिखाती है।।
शिकायत तो है मेरी जिंदगी से ये
क्यों लोगों को अपना बनाती हो
जब भी आता है दिल के करीब कोई
उसे क्यों जीवन से दूर भगाती हो।।