हकीकत उनमें नहीं कुछ
हकीकत उनमें नहीं कुछ, कही जो बातें उन्होंने।
कहेंगे कल को नहीं यह,कहा है कल जो उन्होंने।।
हकीकत उनमें नहीं कुछ ————————–।।
उनपे कैसे करें यकीन, उनको नहीं मिलने की फुरसत।
मन की वह जो बात समझेंगे,नहीं उनकी ऐसी आदत।।
कहे कैसे वफ़ा है वो, वफ़ा कब की है उन्होंने।
हकीकत उनमें नहीं कुछ —————————।।
करीब बहुत दिल के रहे हम, सफर में साथ बहुत भी।
निभाई रस्में भी मिलकर, हुआ नहीं कुछ गलत भी।।
निभायेंगे उम्रभर साथ, थामा नहीं हाथ उन्होंने।
हकीकत उनमें नहीं कुछ ————————–।।
रोशनी भी है यहाँ पर, तराना भी है यहाँ पर।
हुआ फिर भी दर्द नहीं कम, खिला क्या गुल यहाँ पर।।
महकेगी बगिया यह कैसे,जिसको सींचा नहीं उन्होंने।
हकीकत उनमें नहीं कुछ ————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)