**हक़ हम पर क्यों जताते नहीं**
**हक़ हम पर क्यों जताते नहीं**
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मन मे क्या है कुछ बताते नहीं,
हक़ हम पर तुम क्यों जताते नहीं।
जो कुछ भी दिल में बता दो हमें,
बातें खुल कर क्यों सुनाते नहीं।
पूछने की कोशिश विफल हो गई,
आँसू की नदिया रुलाते नहीं।
किन मुद्दों पर यूँ ख़फ़ा हो अभी,
आँसू आँखों से बहाते नहीं।
कोई हम सा हमदर्द ही नहीं,
दर्द ए दिल को यूँ छुपाते नही।
भावों को मुख़ पर जता दो कभी,
यूँ हरगिज नाहक सताते नहीं।
मनसीरत कुछ भी कहे मानो जरा,
वादें मन से यूँ क्यों निभाते नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)