हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
मुस्कुराने से पहले भी सोचना पड़ता है।
रोने पर जितने इल्जाम लगा करते थे
उससे ज़्यादा अब ,हंसने पर लगा करता है।
सोचा है की ,अब नहीं सोचेगे गैरों के लिए
दुश्मनी को भी कोई ,मेरी अब तरसता है
वास्ता नहीं ,ना ही ज़िक्र है बेमुरव्वत का
खामोश जुबां को वो ,गुरुर मेरा समझता है ।