हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ
हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ
ढीला, ढाला पैजामा पहन झूम झूम कर आता हूँ
हाथ पर आग गोले लेकर उछल पार कर जाता हूँ
बन्द थैले में अपने,हंसी छुपा कर लाता हूँ
खुद उदास होता हूँ,लेकिन,फिर भी मैं सबको हँसाता हूँ
दिल सबका बहलाता हूँ,मनोरंजन कराता हूँ
रोते हुए को हंसना मैं सिखाता हूँ
इसलिए बच्चों मैं जोकर कहलाता हूँ
दुनिया के सारे दुख दर्द भूल सबको हँसाता हूँ
सिर के बल चल,बांस पर करतब दिखाता हूँ
जोकर हूँ,मनोरंजन कराने आता हूँ
इसलिए बच्चों मैं जोकर कहलाता हूँ
अलबेला हूँ मस्ताना हूँ,हाथ छोड़ लहराता हूँ
अपनी मस्ती में रहता हूँ,ग़मो को भूल जाता हूँ
खुशियों से भरा खज़ाना मैं छुपा कर लेकर आता हूँ
इसलिए बच्चों में जोकर कहलाता हूँ ।
भूपेंद्र रावत