हंगामा-ए-हिजाब
बंदिशे हिजाब का भी क्या सदमा लगा दिया
खुदा ए इवादत का जो ये फतवा बता दिया..!!
ये औरत ही है जो हज़ार बंदिशों में ही रहें
और आदमी को खुदा का नेक बंदा बता दिया..!!
नज़रे जो देखे जिस्म तिरि औरत ए हज़ार
मज़हब में क्यों औरत को इतना नापाक बता दिया..!!
लगाते हो क्यों उसकी आज़ादी पर बंदगी इतनी
के मज़हब के नाम पर औरत पे दंगा मचा दिया..!!
भर रहा है कौन ज़ेहन ए जहां में ज़हर इतना
आदमी ने अपनी सोच की उसे कठपुतली बना लिया..!!
है नापक सोच के इंसा ए इरादे इतने संगीन
के औरत के हिजाब को ही लोगों ने मज़हब बना दिया..!!
बंदिशे हिजाब को…….