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25 Oct 2018 · 1 min read

हँस लेता हूं !!

मेरी उजड़ी हुई दुनियॉ में
तम्मनाओं के तले
कोई जब अपना लौ जलता है
तो हँस लेता हूं !!

कोई दुआ नही, फरियाद नही
ना ही कोई सितम
रहम जब खुद पे आ जाता है
तो हँस लेता हूं !!

हर जख्म को मैं झेलता
उन ज़ख्मो से तोलकर
नए दर्द को जो दिल कम पाता है
तो हँस लेता हूं !!

लोगो ने कहा भूल जा
हर गम को दिल से तू सदा
पर भूलने से पहले वो याद आता है
तो हँस लेता हूं !!

हर सिसकियाँ दबाने के लिए
ये बहाना खूब है
की जो अक्सों को निगाहें छिपाता है
तो हँस लेता हूं !!

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/१०/२०१८ )

11 Likes · 254 Views
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