पैसे से ही पैसा
कहते हैं, दुनिया में …
पैसे से ही पैसा बनता है….
धन दौलत के व्रक्ष क्यों
उनके घरों में ही लगते हे
कोई कोई तो मेहनत
करते करते मरता
परंतू फिर भी यह पेड़
वहां क्यों नहीं पनपते हैं….
चापलूसी कर कर के
चपरासी भी आज
करोड़ पति बन बैठा है.
और एक कामगार
हाथ का स्किल कर्मचारी
बस हाथ ही मलता है……
कविअजीत कुमार तलवार
मेरठ