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15 Apr 2023 · 1 min read

“हँसता था पहाड़”

“हँसता था पहाड़”
कभी हँसता था पहाड़
कहकहे लगाकर
कि कौन चढ़ पाएगा
उसके सिर पर,
मगर खत्म हो गए
अब सारे गुरुर
जब देह से जुड़ी सीढ़ियाँ
उनकी तकदीर पर।

12 Likes · 6 Comments · 436 Views
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