स्वामी दयानंद सरस्वती
स्वामी दयानंद सरस्वती, वेदों में पारंगत थे
वेदों को ही भारतीयता का, प्रथम चिन्ह मानते थे
भारतीय वैदिक परंपरा, सार्वकालिक विद्या की शक्ति है
आध्यात्मिक स्वातंत्र्य वैचारिक स्वावलंबन स्वाभिमान की
सहज अभिव्यक्ति है
पराधीनता के प्रतिकार की उर्जा, स्वाभिमान से आती है
आत्म और राष्ट्र परिचय, नैतिक स्वावलंबन लाती है
स्वामी दयानंद की दृष्टि, चारित्रिक आचरणगत उत्थान की थी
समाज और भविष्य निर्माण, व्यापक भारत उत्थान की थी
देश विदेश में अपनी प्रतिभा से, व्यापक समाज सुधार किए
भारत माता की आजादी को,वेद आधारित वृहद विचार दिए
सत्यार्थ प्रकाश लिखी, जिसने दुनिया को प्रकाश दिया
भारतीय ऋषि दयानंद ने, वैचारिक स्वावलंबन स्वाभिमान का शंखनाद किया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी