स्वाधीनता दिवस
****स्वाधीनता दिवस****
देश को मिली स्वाधीनता
दूर हुई तब पराधीनता
शहीदों ने सर्वस्व लुटाया
फिरंगी शासन तब ही थर्राया
गाँधी,सुभाष टैगोर ,पाल ने
आंदोलन थे तब चलाये
वीर सावरकर आजाद,सारे
अपनी जान पर खेल आये
मंगल पांडे , चंद्रशेखर ने
तब अनलकुंड दहकाया था
चढ़कर फाँसी पर भगत ने
खून अपना बिखराया था
तोड़ गुलामी की बेड़ी सारी
अमर हो गये वीर बलिदानी
खोया गौरव यूँ वापस आया
भारत में तिरंगा लहराया
वीर शहीदों की वो कुर्बानी
फिरंगियों की वह मनमानी
मासूम अबला को सताते
बच्चों बूढ़ों को तड़पाते
थे हर आँसू रक्त से रंगे
कातर दृश्य वे नहीं थमें
शुष्क नयनों में इक आशा
देते खुद को सूक्ष्म दिलासा
रक्त से भर गये पथ सारे
दर्द, बेबसी के अंधियारे
शहीद सारे रवि से चमके
नीलगगन पर जगमग दमके
काट दी कठोर बेड़ियाँ सारी
भूल कर मजबूरी लाचारी
अनगिनत वीर शहीद हुये
भारत भूमि की रज को छूये
भारत माँ का ललाट उठाये
शत्रु थे मस्तक को झुकाये
फिरंगी ताकत का किया सफाया
तब भारतीय ध्वज लहराया
चौदह अगस्त की अर्धनिशा
फिरंगियों ने पराजय स्वीकारी
देश छोड़ फिरंगी तब भागे
सौंप गये फिर सत्ता हमारी
आज़ादी इक उपहार है
उस वीर सपूत बलिदानी का
प्रतिपल सम्मान तुम रखना
शहीदों की इस कुर्बानी का।
✍️”कविता चौहान”
इंदौर (म.प्र)
स्वरचित एवं मौलिक