स्वाधीनता आंदोलन में, मातृशक्ति ने परचम लहराया था
स्वाधीनता आंदोलन में, मातृशक्ति ने परचम लहराया था
साहस त्याग और बलिदान से, अंग्रेजी शासन थर्राया था
रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों पर,ऐंसी तलवार चलाई थी
अंग्रेजी तोप और बंदूकों ने, अपने मुंह की खाई थी
अंतिम समय घिर गई थी रानी, अंग्रेजों के हाथ न आईं थीं
अपने ही हाथों एक कुटिया में, वीरांगना ने आग लगाई थी
वीरांगना झलकारी बाई ने, ब्रिटिश सेना को बहुत छकाया था
लक्ष्मी बाई की हम कदम थीं वो, छठी का दूध याद दिलाया था
रामगढ़ रानी अवंती बाई ने,अपना जौहर दिखलाया था
टिक न सके तलबार के आगे, अंग्रेज घुटनों पर आया था
मांग रहा था प्राणों की भीख,धोखे से उनको मरवाया था
जीते जी वो हाथ न आईं, स्वयं प्राणों को भेंट चढ़ाया था
रानी चेनम्मा, रानी बेलु नाचियार के, शौर्य की एक कहानी है
रानी शिरोमणि, रानी इश्वरी कुमारी और देवी चौधरानी हैं
हज़रत महल, माता स्वरूप रानी,अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी
हर एक के योगदान की, अलग है एक कहानी
ननीबाला, पार्वती देवी,प़फुल्ल नलिनी,मणिवेन
माया घोष,सरला देवी, सावित्री देवी, मृदुला वेन
बीना दास, प्रीतलता,उज्वला मजुमदार, कल्पना दत्ता
रेणु सेन,चारुशिला देवी, टुकड़ी बाला, मीरा दत्ता
लड़ी सुहासिनी, शोभा रानी,वनलतादास
शांति घोष,सुनीति चौधरी,जानकी, देवी बजाज
मैडम भीखाजी कामा, दुर्गा बाई देशमुख ने किए काज
सुशीला दीदी, लक्ष्मी सहगल, निकल पड़ी थीं छोड़ सब लाज
लड़ी अजीजन बाई, पुरुष वेश में लड़ती थीं
अंग्रेजों की गुप्त सूचनाएं,क़ांतिकारियों को देतीं थीं
राजकुमारी अमृत कौर,उन नायिकाओं में शामिल हैं
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और,नव निर्माण का जन जन कायल है
नागालैंड में एक चिंगारी, रानी गाइडिन्ल्यू के रूप में चमकी थी
१३बर्ष की उम्र में युद्ध किया, अंग्रेजी सेना पराजित कर दी थी
प्रसिद्ध क्रांतिकारी दुर्गा भाभी,जिनने क़ांतिवीरों का साथ दिया
आजाद भगतसिंह राजगुरु, मरते दम तक साथ दिया
नाम अनाम मातृ शक्ति ने,किए न्यौछावर प्राण थे
मातृभूमि की वलिवेदी पर, अपने किए सपूत वलिदान थे
आजादी के अमृत महोत्सव पर, ढेरों उन्हें प्रणाम हैं
स्वतंत्रता आंदोलन में मातृशक्ति का बहुमूल्य योगदान हैं
जय हिन्द वन्देमातरम।