स्वर लहरी
लहरी हो स्वर छन्द की,भाव करे गुंजार।
मनःसुमन की वेदना,मुखरित करे प्रसार।।
मुखरित करे प्रसार, स्वतः हो जाये गायन।
मधुमय काव्य स्वरूप, नवलरसमय करुणायन।।
भरे सदा उत्साह, रहें सीमा पर प्रहरी।
काव्य हृदय का गान,स्वतः गुंजित स्वर लहरी।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी