स्वर कोकिला लता
लता दीदी
दीदी
जो अमर होते हैं
उनके गीत
उनकी स्मृतियाँ
भी अमर होती है
तुम कहीं नहीं गई
हम सबको छोड़कर ।
आपके गीतों का
जो अमर नाता है
हम सबके साथ जो कायम है
उसका अटूट विश्वास
आज भी ये कहता है
तुम यहीं कहीं आसपास हो
हमारे ज़हन में,
हृदय में और हमारी आत्मा में
इसीलिए आज तक नहीं मिट सकी
आपके उन अमर गीतों की महक
जिसे तुम अकसर गाती थी
रहे न रहे हम
महका करेंगे बनके कली
बनके सदा वादे सबा में
और नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज ही पहचान है
गर याद रहे । ।
रफ़ी अरुण गौतम, मोबाइल 9811447213