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11 Jun 2019 · 2 min read

***स्वर्ण पदक **

।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
” स्वर्ण पदक”
हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा पढाई -लिखाई हर क्षेत्र में अव्वल हो,सम्मान स्वर्ण रजत पदक हासिल हो परन्तु कभी असली हकदार उस पदक से वंचित रह जाता है।
ऐसी ही प्रिया का सफर प्री नर्सरी से शुरू होता है वह हायर सेकंडरी स्कूल तक हमेशा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होती रही है ।स्कूल के हर कार्यक्रमों ,क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लेती रही थी।
हर साल आल राउंडर का पुरस्कार ले जाती थी अब प्रिया कॉलेज में पढाई करते हुए भी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में टॉपर रही ।
फिर कुछ दिनों बाद कॉलेज के अंदर शिक्षक ,छात्राओं के कंधे पर राजनीतिक पैतरा अपनाते रहते हैं प्रिया भी इससे प्रभावित हुई कुछ नजरों में खटकने लगी थी।
ईर्ष्या व द्वेष की वजह से अपनी स्थिति से पिछड़ गई थी ।
प्रिया के साथ कॉलेज में पढ़ने वाली एक शिक्षक की लड़की भी पढ़ाई करती थी ।दरअसल कॉलेज में प्रैक्टिकल विषय में कम अंक लेकिन सैद्धान्तिक विषय में अच्छे अंक मिलते रहे ।
दूसरी ओर एक छात्र भी हताश होकर आगे बढ़ने की होड़ में नम्बर कम मिलने से अवसाद की स्थिति में आने के कारण प्रिया ने उस छात्र की मदद की । प्रिया ने इस स्थिति में दूसरे विद्यार्थी की मदद करते हुए अपनी स्थिति को कुछ नीचे की लाइन में कर लिया था।
अपनी महत्वकांक्षा को दबा लिया और स्वर्ण पदक से कांस्य पदक पर उतर कर आ गई थी।
*ऐसा कहा भी गया है …..”जहां चाह है वहाँ राह है ” दूसरों के लिए किया गया उपकार एक न एक दिन सुखद परिणाम लेकर आता है।
*प्रिया ने उपरोक्त त्याग बलिदान देकर अपनी सच्ची प्रतिभा को पहचान दिलाकर नई दिशाओं की ओर मुड़कर नई उड़ान भर ली है ।
उपरोक्त त्याग व बलिदान से छुपी हुई प्रतिभा को ऊँचे मुकाम तक पहुंचा दिया था।
प्रिया आज हायर शिक्षा के लिए विदेश में महान वैज्ञानिको एवं तकनीकीविदों के साथ मानवीय कल्याण हेतु अनुसंधान में संलग्न है और विश्व के कल्याण हेतु लक्ष्य को लिए हुए कार्यरत अपने देश का नाम रोशन कर रही है ….! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*

Language: Hindi
1 Like · 267 Views
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