दो पल की मौत
एक ठोकर सी लगी दिल में सांसें ही थम गईं ।
झटका था इस कदर की रूह तक सहम गई ।
चारों ओर सन्नाटा था हर ओर अंधेरा था ।
ये कहां पहुंच गया में मुझको सायों ने घेरा था ।
थोड़ी ही देर में मुझको कुछ आवाज सुनाई दी ।
घबराहट तब कम हुई जब भैंस आती दिखाई दी ।
जो कुछ भी में देख रहा वो पहले से अनदेखा था ।
हंसी आ गई घबराई सी जब भैंस पर दूल्हा देखा था ।
कुछ ढोल पीट रहे थे कुछ शंखनाद करने लगे ।
कुछ समझ ना आया क्यों सब उससे फरियाद करने लगे ।
दूल्हे के एक इशारे पर रोशनी छाई चारों ओर ।
होश उड़ गये हमारे देखकर हुआ में भय विभोर ।
पकड़े थे जो मुझको उन मुस्तन्डों का रंग काला था ।
घर्णित मुंह से देखा उनको बमुश्किल होश संभाला था ।
कौन था वो भैंसे पर मसखरा जिसका लिवाज था ।
घूर रहा था मुझको ऐसे जैसे हमसे नाराज था ।
बारी बारी से सब उसको कुछ सुनाने लगे ।
कुछ देर से वो मेरा परिचय उससे कराने लगे ।
बातें उनकी सुनकर हम भी कुछ घबराने लगे ।
ना मिला जिनसे कभी वो हमारी कहानी सुनाने लगे ।
एक डाकिये ने हमारी दास्तान उसको बतलाई ।
जो हम भी भूल चुके थे वो बातें याद दिलाई ।
वो बोला क्यों लाये इसे ये मौत से काफी दूर है ।
गुनाह नहीं कोई इसका बस यह तो इश्क में चूर है ।
ले जाओ वापिस इसे अभी बहुत काम करना है ।
शायरों में अपना नाम और आशिक दिलों को गुलाम करना है ।
शायर ऐ हिंद और बहुत कुछ इसे कहा जायेगा ।
धीरे-धीरे ही सही ये हर दिल पर छा जायेगा ।
उसके एक इशारे पर हमको वहीं से फेंका ।
हाथ पैर सब सलामत थे जब उठकर हमने देखा ।
सलामत होकर भी में इसकदर बेवजह चिल्लाया ।
होश तो आया तब जब मां ने कान के नीचे बजाया ।
रोते हुये उन्होंने हमको सीने से लगाया ।
ना करना फिर ऐसा मजाक बड़े प्यार से समझाया ।